‘टूटे बेंच और डेस्क, बुनियादी सुविधाएं तक नहीं…’, स्कूलों की बदहाली पर दिल्ली सरकार को HC ने लगाई फटकार

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हाई कोर्ट ने दिल्ली के शिक्षा सचिव को फटकार लगाते हुए कहा- हमारी अगली पीढ़ी के साथ क्या होने वाला है? कोई आश्चर्य नहीं कि जेलें भरी हुई हैं. क्या आप इस संबंध (शिक्षा और अपराध) को समझ रहे हैं? तिहाड़ जेल में 10 हजार कैदियों की क्षमता है. लेकिन वहां 23 हजार कैदी रह रहे हैं. वजह अशिक्षा है. आप युवा पीढ़ी का भविष्य बर्बाद कर रहे हैं.

दिल्ली उच्च न्यायालय ने उत्तर-पूर्वी जिले में स्कूलों की खराब स्थिति पर शिक्षा विभाग को लगाई फटकार. (प्रतीकात्मक फोटो )

दिल्ली हाई कोर्ट ने राजधानी के उत्तर-पूर्वी जिले के सरकारी स्कूलों की ‘अत्यंत दुखद स्थिति’ के लिए शिक्षा विभाग को जमकर फटकार लगाई. अदालत 8 अप्रैल को एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसका प्रतिनिधित्व एडवोकेट अशोक अग्रवाल ने किया. हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने दिल्ली के शिक्षा सचिव को कहा कि अपने शपथ पत्र पर जल्दी अमल करते हुए हालात बदलिए, वरना आपके खिलाफ कोर्ट की अवमानना करने के लिए कार्रवाई करेंगे.

हाई कोर्ट ने दिल्ली के शिक्षा सचिव से कहा कि याचिका में नमूने के तौर पर उत्तर-पूर्वी दिल्ली के 10 स्कूलों की बदहाल स्थिति के बारे में जानकारी दी गई है. इन स्कूलों में बेंच और डेस्क टूटे हैं, किताबें नहीं हैं, क्लासरूम की कम पड़ रहे हैं. बुनियादी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हैं. शिक्षा सचिव और याचिकाकर्ता अशोक अग्रवाल दोनों को पहले अदालत ने इन स्कूलों का दौरा करने के लिए कहा था. दिल्ली के शिक्षा सचिव ने स्कूलों की बदहाली पर हामी भरी तो जस्टिस मनमोहन ने कहा, ‘आपकी इसी लापरवाही की वजह से तिहाड़ जेल में समस्या और भीड़ बढ़ी है.’

आप युवा पीढ़ी का भविष्य बर्बाद कर रहे हैं: हाई कोर्ट

जस्टिस मनमोहन ने कहा, ‘हमारी अगली पीढ़ी के साथ क्या होने वाला है? कोई आश्चर्य नहीं कि जेलें भरी हुई हैं. क्या आप इस संबंध (शिक्षा और अपराध) को समझ रहे हैं? तिहाड़ जेल में 10 हजार कैदियों की क्षमता है. लेकिन वहां 23 हजार कैदी रह रहे हैं. वजह अशिक्षा है. आप युवा पीढ़ी का भविष्य बर्बाद कर रहे हैं.’ हाई कोर्ट ने कहा कि आपके मातहत अधिकारी अगर सुस्त या काहिल हैं तो आपको देखना है कि वे कैसे अपनी ड्यूटी समय पर और ईमानदारी से निभाएं. अदालत ने अपने रिकॉर्ड में दर्ज किया कि शिक्षा सचिव ने स्थिति में सुधार के लिए कदम उठाने का बीड़ा उठाया है और सभी छात्रों को समयबद्ध तरीके से किताबें, फर्नीचर और लेखन सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी.

इतनी गर्मी में छात्रों को टिन-शेड में कैसे बिठा रहे: HC

दिल्ली हाई कोर्ट ने शिक्षा सचिव को एक सप्ताह में विस्तृत हलफनामा दाखिल करने और अपने कर्तव्यों का पालन करने में विफल रहने वाले सरकारी अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने का निर्देश दिया. याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि ग्राउंड इंस्पेक्शन में पता चला कि एक स्कूल टिन-शेड में चलाया जा रहा था, जिसमें छात्रों के दो सेक्शन एक साथ बैठे थे. इस पर अदालत ने दिल्ली के शिक्षा सचिव से सवाल किया कि छात्रों से इतने गर्म मौसम में टिन-शेड वाले स्कूल में पढ़ने की उम्मीद कैसे की जा सकती है? यह स्पष्ट करते हुए कि टिन-शेड एक अस्थायी व्यवस्था थी, शिक्षा सचिव ने अदालत को आश्वासन दिया कि छात्रों को जल्द ही एक उचित भवन में स्थानांतरित कर दिया जाएगा. मामले की अगली सुनवाई 23 अप्रैल को होगी.

एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट ने दायर की है जनहित याचिका

इससे पहले, एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट ने तर्क दिया था कि इन स्कूलों में पढ़ने वाले एक लाख से अधिक छात्रों की शिक्षा प्रभावित हुई है. क्योंकि उन्हें प्रतिदिन 2 घंटे या एक दिन छोड़कर शिक्षा देने वाले स्कूलों में पढ़ने के लिए मजबूर किया जाता है. एनजीओ ने अपनी याचिका में यह तर्क दिया था कि दिल्ली सरकार की निष्क्रियता ने ‘शिक्षा के अधिकार अधिनियम’ के प्रावधानों के साथ संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 21 ए के तहत गारंटीकृत छात्रों के शिक्षा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन किया है. 

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