महिला ट्रेन ड्राइवर्स ने रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष जया वर्मा सिन्हा को एक ज्ञापन देकर अपनी समस्याओं के बारे में बताया है. उन्होंने कहा कि इंजन में शौचालय सुविधाओं की कमी, मासिक धर्म के दौरान पैड बदलने में असमर्थता, रात में भी किसी भी तकनीकी खराबी को दूर करने के लिए इंजन से बाहर निकलने का अनिवार्य प्रावधान परेशानी पैदा करता है.
महिला ट्रेन ड्राइवर्स ने रेलवे बोर्ड से आग्रह किया है कि या तो उनकी दयनीय कामकाजी परिस्थितियों में सुधार किया जाए या उन्हें अन्य विभागों में स्थानांतरित करने की अनुमति दी जाए. महिला लोको पायलट्स ने ने हाल ही में रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष जया वर्मा सिन्हा को इस संबंध में एक ज्ञापन दिया है.
महिला ट्रेन ड्राइवर्स ने इस ज्ञापन में अपनी दुर्दशा को उजागर किया गया और “वन-टाइम कैडर चेंज” विकल्प की मांग की है. उन्होंने बताया कि इंजन में शौचालय सुविधाओं की कमी है, मासिक धर्म के दौरान पैड बदलने में असमर्थता, रात में भी किसी भी तकनीकी खराबी को दूर करने के लिए सूनसान इलाके में भी इंजन से बाहर निकलने का अनिवार्य प्रावधान और देर रात की ड्यूटी के लिए कोई पिक-अप और ड्रॉप-ऑफ सुविधा नहीं होना जैसी समस्याएं हैं, जिनका उन्हें रोजाना सामना करना पड़ता है.
बताते चलें कि वर्तमान में 1,500 से अधिक महिलाएं देश भर के विभिन्न रेलवे जोनों में लोको पायलट और सहायक लोको पायलट के रूप में काम कर रही हैं. वे विभिन्न रेलवे यूनियनों और फेडरेशन्स के जरिये रेलवे बोर्ड के साथ अपने मुद्दे उठाती रही हैं.
काम पर बुनियादी सुविधाएं मांग रहे हैं हम- महिला पायलट
एक महिला लोको पायलट ने कहा कि वॉशरूम सुविधाओं के साथ रेलवे नए लोको (रेल इंजन) लेकर आ रहा है. मगर, पुराने इंजनों को नए इंजनों से बदलने में काफी समय लगेगा. एक अन्य महिला लोको पायलट ने बताया कि ‘रिकॉर्ड नोट ऑफ डिस्कशन’ में यह उल्लेख किया गया था कि इंजीनियरिंग, लोको पायलट और गार्ड श्रेणी में महिला कर्मचारियों को श्रेणी में बदलाव के लिए वन-टाइम विकल्प दिया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि उसके बाद इस बारे में कोई कार्रवाई नहीं की गई. इसलिए हम मांग करते हैं कि अगर आप हमारी दयनीय कार्य स्थितियों में सुधार नहीं कर सकते, तो आप हमारे विभाग को बदल दें. एक अन्य महिला लोको पायलट ने जोर देकर कहा कि वे काम पर केवल बुनियादी सुविधाएं मांग रही हैं.
महिलाओं की स्थिति दयनीय, इसलिए पीती हैं कम पानी
उन्होंने कहा कि जब हम शुरू में इस पेशे में आए थे, तो हमें यह नहीं बताया गया था कि इंजन में वॉशरूम की सुविधा नहीं है या हमें मासिक धर्म के दौरान अपने सैनिटरी पैड बदलने के लिए कोई जगह नहीं मिलेगी. हमें इसका एहसास तब हुआ जब हमने काम करना शुरू किया.
उन्होंने कहा कि हम कम से कम पानी पीते हैं, ताकि हमें शौचालय का इस्तेमाल करने की जरूरत न पड़े. मगर, यह विभिन्न बीमारियों का कारण बनता है. पुरुष लोको पायलटों को भी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, लेकिन महिलाओं की स्थिति दयनीय है. ऑल इंडिया रेलवेमेन फेडरेशन के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा ने महिला ड्राइवरों की मांगों का समर्थन किया.