पुलिस ने मकान से 26 किलो 670 ग्राम MDMA मैथ ड्रग्स बरामद किया है. साथ ही करीब 50 करोड़ का रॉ मेटेरियल भी पुलिस ने कब्जे में लिया है. ड्रग्स और रॉ मटीरियल की अनुमानित कीमत करीब 150 करोड़ रुपये बताई जा रही है. ड्रग्स को बनाने के काम में नाइजीरियन मूल के नागरिक शामिल थे, जो अवैध रूप से भारत में रह रहे थे.
उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में स्वाट टीम, थाना इकोटेक वन और थाना दादरी पुलिस की संयुक्त टीम को लोकसभा चुनाव से पहले बड़ी सफलता हाथ लगी है. पुलिस ने कार्रवाई करते हुए एक मकान में विदेशी नागरिकों द्वारा चलाई जा रही ड्रग्स के फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया है. छापेमारी में पुलिस ने चार नाइजीरियन नागरिकों को गिरफ्तार किया है. इसके साथ ही पुलिस ने मकान से 26 किलो 670 ग्राम MDMA मैथ ड्रग्स बरामद किया है.
साथ ही करीब 50 करोड़ का रॉ मेटेरियल भी पुलिस ने कब्जे में लिया है. ड्रग्स और रॉ मटीरियल की अनुमानित कीमत करीब 150 करोड़ रुपये बताई जा रही है. डीसीपी ग्रेटर नोएडा साद मियां खान ने बताया कि एमडीएमए पाउडर, अवैध रूप से मादक पदार्थ बनाने में प्रयोग होने वाले कच्चा माल, उपकरण, रासायनिक माल और रसायन सहित दो कारें बरामद की हैं. उन्होंने बताया कि पूछताछ के दौरान पुलिस को पता चला है कि आरोपी नाइजीरिया से आकर भारत में अवैध रूप से रह रहे थे.
मुखबिर से मिली थी पुलिस को सूचना
ग्रेटर नोएडा पुलिस लोकसभा चुनाव को लेकर पूरी तरह एक्टिव है. मादक पदार्थों को पकड़ने के लिए टीम लगी है. इसी कड़ी में पुलिस के लोकल इंटेलीजेंस से सूचना मिली थी कि कुछ विदेशी नागरिकों द्वारा अवैध तरीके से ड्रग्स की फैक्ट्री ग्रेटर नोएडा में चलाई जा रही है. मुखबिर के सूचना के आधार पर पुलिस की स्वाट टीम, थाना इकोटेक वन पुलिस और थाना दादरी पुलिस ने ड्रग्स के साथ एक नाइजीरियन मूल के नागरिक को गिरफ्तार किया.
ड्रग्स बनाने के लिए लगे थे विदेशी इक्विपमेंट्स
पूछताछ में गिरफ्तार विदेशी नागरिक ने पुलिस को बताया कि उनके कुछ साथियों द्वारा ड्रग्स फैक्ट्री ओमिक्रोन वन इलाके में स्थित एक मकान में चलाई जा रही है. विदेशी नागरिक की निशानदेही पर पुलिस की संयुक्त कार्रवाई करते हुए मकान में छापेमारी की. घर के अंदर पुलिस ने देखा कि हाई क्वालिटी के ड्रग्स बनाने वाले विदेशी इक्विपमेंट्स लगे हुए हैं.
साथ ही नशीला पदार्थ बनाने का रॉ मटेरियल भी पुलिस को घर के अंदर मिला. मकान के अंदर हाई क्वालिटी की ड्रग्स बनाई जा रही थी. बताया जा रहा है कि ये लोग ड्रग्स तैयार करने के बाद ऑनलाइन साइट, डार्क ऐप, समेत अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से बेचा करते थे. इनके द्वारा सबसे ज्यादा सप्लाई जिले में स्तिथ अलग-अलग यूनिवर्सिटी और कॉलेज में की जाती थी.