Niyojit Teacher News: नियोजित शिक्षकों का संघर्ष आखिरकार सफल हुआ। अपर मुख्य सचिव केके पाठक का फंडा फेल हो गया। लगातार 18 साल से नियोजित शिक्षकों की एक ही मांग रही है कि उन्हें राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए। सरकार इसके लिए सहमत तो हुई, लेकिन सक्षमता परीक्षा पास करने की शर्त जोड़ दी। साथ ही शिक्षा विभाग का यह भी फरमान आया कि जो परीक्षा पास नहीं करेंगे, उनकी नौकरी चली जाएगी। अब आगे।
पटना: देखिए इसमें कुछ नया नहीं है। केके पाठक के आतंक से हमें बहुत जल्द छुटकारा मिलेगा। इनकी तानाशाही बहुत दिनों तक नहीं चलेगी। ये शिक्षकों को परेशान कर रहे हैं। उनका आदेश पूरी तरह से अव्यवहारिक होता है। आने वाले दिनों में सभी फ्रंट पर शिक्षक जीतेंगे। जब बिहार सरकार ने पहले ही बिहार शिक्षक सेवा शर्त नियमावली 2006 में ये कह चुकी है कि नियोजित शिक्षक 60 वर्षों तक नौकरी कर सकते हैं। उसके बाद इसमें सक्षमता परीक्षा और राज्यकर्मी का दर्जा देने के लिए कई तरह की कमेटी बनाकर परेशान किया गया। हमारे कई साथियों ने फॉर्म नहीं भरा है। हम परीक्षा नहीं देंगे। हम देखते हैं, हमें कौन निकालता है। बक्सर जिले के डुमरांव प्रखंड के एक मध्य विद्यालय में कार्यरत शिक्षक ने एनबीटी ऑनलाइन से साफ कहा कि केके पाठक जो कर रहे हैं, वो स्कूल और शिक्षा के लिए बेहतर है। लेकिन क्या आप किसी शिक्षक की गर्दन दबाकर उससे पढ़ाई लेंगे। शिक्षक ने बताया कि 23 सालों से स्कूलों को किसने संभाला है। बकरी की गणना से लेकर आदमी और जानवर की गणना तक। चुनाव से लेकर मानव श्रृंखला तक किसने सरकार का सहयोग किया। अब जाकर आप परीक्षा में फेल होने पर नौकरी से निकालने की बात करते हैं।
तानाशाही नहीं चलेगी-शिक्षक
बिहार के हजारों ऐसे शिक्षक हैं, जिनमें गुस्सा है। पटना हाई कोर्ट के फैसले के बाद शिक्षकों ने राहत की सांस ली है। दूसरी सबसे बड़ी बात है कि शिक्षकों का कहना है कि पिछले 23 सालों और 17 सालों में नियोजित शिक्षकों के अलावा स्कूल में कौन था। ये जितने भी मैट्रिक और इंटर की परीक्षा बच्चे पास कर रहे हैं, क्या ये आसमान से पढ़कर आए हैं या नियोजित शिक्षकों ने ही पढ़ाया है। लगातार बेवजह परेशान किया जा रहा है। व्हाट्सएप पर आदेश गिरा दिया जाता है। टीचर सोचता है कि कल छुट्टी है, उसी दिन रात के वक्त आदेश गिरा दिया जाता है। अधिकारी सोचते हैं कि शिक्षक मशीन हैं, स्कूल में आकर बैठ जाएंगे। ये कत्तई नहीं चलेगा। आने वाले दिनों में हम केके पाठक का विरोध अब स्कूल में बैठकर ही करेंगे। शिक्षकों ने बातचीत में पटना हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि अब बिल्कुल भी डरने वाली बात नहीं है। बिहार सरकार पहले ही कह चुकी है कि किसी की नौकरी नहीं जाएगी। ये सक्षमता परीक्षा के नाम पर ड्रामा किया जा रहा था।
हम अक्षम नहीं हैं- शिक्षक
बिहार के स्कूलों में 18 साल पहले नियुक्त करीब चार नियोजित शिक्षकों को अपने अस्तित्व के लिए शुरू से ही संघर्ष करना पड़ा। फिलहाल हाईकोर्ट से उन्हें राहत तो मिल गई है, पर सवाल यह कि क्या राज्य सरकार हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत नहीं जाएगी? शिक्षकों ने संघर्ष का कोई रास्ता नहीं छोड़ा है। कभी धरना दिया, प्रदर्शन किया तो कभी विधानसभा घेराव के लिए पटना की सड़कों पर उतरे नियोजित शिक्षकों को पुलिस की लाठियां भी खानी पड़ीं। लगातार 18 साल की सेवा के बाद उनकी नौकरी पर सरकार के एक फैसले से तलवार लटकी हुई थी। इसी साल 13 फरवरी को नियोजित शिक्षक विधानसभा का घेराव करने के लिए पटना के गर्दनीबाग में जमा हुए थे। वे ऐसा तब कर रहे थे, जब शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने स्कूल छोड़ कर उनके धरना-प्रदर्शन पर रोक लगा दी थी। ऐसा करने पर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की चेतावनी दी थी। इसके बावजूद वे पटना में जुटे।
शिक्षकों का संघर्ष
शिक्षकों के विधानसभा घेराव कार्यक्रम प्रशासन द्वारा विफल किए जाने के बाद उनकी योजना डेप्युटी सीएम सम्राट चौधरी से मिलने की थी। इसके लिए वे भाजपा दफ्तर की ओर बढ़े ही थे कि पिलस ने उन्हें रोक दिया। रोकने के क्रम में पुलिस ने बेरहमी से उन पर लाठियां बरसाईं। पिटाई के बाद उनके प्रतिनिधिमंडल को 15 फरवरी को मिलने का समय दिया गया। नियुक्ति के बाद से ही नियोजित शिक्षकों की मांग थी कि उन्हें सरकारी शिक्षकों की तरह राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए, ताकि वे उनकी ही तरह वेतन-भत्ते, अवकाश और दूसरी सुविधाओं का लाभ ले सकें। वर्षों तक उनकी मांगों पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। इस बीच नियोजित शिक्षकों का आंदोलन जारी रहा। आखिरकार 26 दिसंबर 2023 को कैबिनेट ने उन्हें राज्यकर्मी का दर्जा देने की मंजूरी दे दी। इसके लिए पूर्व में शिक्षा विभाग ने बिहार विद्यालय विशिष्ट शिक्षक नियमावली 2023 तैयार की थी। हालांकि इसमें शिक्षा विभाग ने पेंच यह फंसा दिया कि राज्यकर्मी का दर्जा पाने के लिए नियोजित शिक्षकों को सक्षमता परीक्षा पास करनी होगी।
शिक्षकों में आक्रोश
सक्षमता परीक्षा के नाम पर दोबारा शिक्षक भड़क गए। शिक्षा विभाग ने कहा कि इसके लिए तीन आनलाइन परीक्षाएं आयोजित की जाएगी, जिनमें किसी एक में पास होना अनिवार्य होगा। जो पास नहीं करेंगे, उनकी नौकरी खत्म हो जाएगी। जो शिक्षक यह परीक्षा पास करेंगे, उन्हें ही राज्यकर्मी का दर्जा मिलेगा और वे सहायक शिक्षक कहलाएंगे। पांच सक्षमता परीक्षाओं में किसी एक को पास करने की अनिवार्यता भी बताई गई। शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने तीन परीक्षाएं ऑनलाइन और दो आफलाइन परीक्षा लेने का आश्वासन दिया। नियोजित शिक्षक बिना किसी परीक्षा के राज्यकर्मी का दर्जा चाहते थे। उनका तर्क था कि 18 साल से वे पढ़ा रहे हैं। वे समय-समय पर घोषित तमाम अर्हताएं पूरी करते आए हैं। अब इतने दिनों बाद वे अक्षम कैसे हो गए? अभी तक हुई दो चरणों की सक्षमता परीक्षा के परिणाम भी आ चुके हैं। पहले चरण में कक्षा एक से पांच तक के 93.39 प्रतिशत नियोजित शिक्षकों ने सक्षमता परीक्षा पास कर ली। कक्षा छह से आठ तक के 23873 शिक्षकों ने सक्षमता परीक्षा दी थी। इनमें 22941 यानी 96.10 प्रतिशत शिक्षकों ने परीक्षा पास कर ली है।
शिक्षकों पर दबाव
असफल शिक्षकों को अभी चार और मौके देने की बात कही गई। पर, सबसे बड़ा सवाल शिक्षकों के सामने यह खड़ा था कि क्या सच में सक्षमता परीक्षा में असफल होने पर उनकी नौकरी चली जाएगी। अब उसका जवाब उन्हें मिल गया है। पटना हाईकोर्ट ने नियोजित शिक्षकों की याचिका पर सुनवाई के बाद मंगलवार को अपना फैसला सुना दिया है, जो पूरी तरह नियोजित शिक्षकों के हक में है। चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि सक्षमता परीक्षा पास नहीं करने भी किसी शिक्षक की नौकरी नहीं जाएगी। इतना ही नहीं, जिन्होंने सक्षमता परीक्षा नहीं दी है, या फेल हो जाते हैं, उनकी नौकरी पर भी अब कोई संकट नहीं है। कुल मिलाकर शिक्षक अब आराम से अपनी नौकरी करेंगे। उन्हें फेल और पास होने का डर नहीं है। ध्यान रहे कि सक्षमता परीक्षा को लेकर बनी कमेटी के सर्वेसर्वा केके पाठक को बनाया गया था। उन्होंने ने ही लेटर निकालकर नौकरी जाने की बात कही थी। अब नियोजित शिक्षक केके पाठक के उस आदेश से बिल्कुल भी नहीं डरेंगे। पटना हाई कोर्ट ने साफ कर दिया है कि फेल होने वाले शिक्षकों की नौकरी बिल्कुल भी नहीं जाएगी।